काव्यस्पंदन
marathi kavita blog. blogging since 2010. blog also includes some hindi kavita written by me.
Sunday, May 4, 2014
फिर कभी..
अब तो निकले है हम, मिलते है, फिर कभी
उन्ही पुराने रास्तों पे, चलते है, फिर कभी |
अब न कोई सितम , फिर भी थोडा गम
यादों की खुशबू लिए, खिलते है, फिर कभी...
-
गौरव
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