Thursday, December 15, 2011

क्यों रुके ?


फासले जो बीच हमारे, अँधेरे की तरह छाये
तो खामोश खामोश चेहेरेपे रात क्यों रुके ?

तेरे कदमोंके निशाँ राहोंमे सरे बिखरेसे,
मै धुंडने चला हूँ , तो बरसात क्यों रुके ?

धन-औ-सत्ताका 'शरीफोंका' जुलूस है,
ईमान पूछूँ जरासा, तो बात क्यों रुके ? 

यह बेरहम समय तो निकल रहा 'गौरव'
आँखोंमे सुहानी यादोंकी बारात क्यों रुके ?
-----------------------------------