Sunday, May 1, 2011

इंसान और ईश्वर

इंसान सदियोंसे सर्वश्रेष्ठ प्रेरणा को ढूंढ़ता आया है ,
कोई मंदिरमें, कोई मस्जिदमें, कोई चर्चमें 
बस महसूस करते है लोग ,
किसीने देखा नहीं !
सब किसी चमत्कारितामें ढूंढते रहते है 
विधाता का अस्तित्व..
मै नादाँ सोचता रहता हूँ के, 
रास्ते के किसी कोने में बैठा एक लावारिस बच्चा,
जिसे दो दिन से खाना नसीब न हुआ हो..
अगर आप उसकी रो रो के नम हुई आँखोंमे
राम-रहीमको नहीं देख सकते तो
काशी-मक्का जानेका क्या मतलब ? 
                                              -  गौरव 

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