इंसान सदियोंसे सर्वश्रेष्ठ प्रेरणा को ढूंढ़ता आया है ,
कोई मंदिरमें, कोई मस्जिदमें, कोई चर्चमें
बस महसूस करते है लोग ,
किसीने देखा नहीं !
सब किसी चमत्कारितामें ढूंढते रहते है
विधाता का अस्तित्व..
मै नादाँ सोचता रहता हूँ के,
रास्ते के किसी कोने में बैठा एक लावारिस बच्चा,
जिसे दो दिन से खाना नसीब न हुआ हो..
अगर आप उसकी रो रो के नम हुई आँखोंमे
राम-रहीमको नहीं देख सकते तो
काशी-मक्का जानेका क्या मतलब ?
- गौरव